रविवार, 18 नवंबर 2012

मुझे हिटलर बहुत याद आता है


जब  कोई  खद्दर  ओढ़कर !
कर्तव्यों  से  मुह  मोड़कर !!
बेशर्म  भ्रष्ट  आचरण  पे  उतर  आता  है !
मुझे  हिटलर  बहुत  याद  आता  है !

कहकर  खुद  को  अहिंसा  का  पुजारी !
गाँधी  का  कोई  उत्तराधिकारी !!
जनता  में  अविश्वास  बढ़ता  है !
मुझे  हिटलर  बहुत  याद  आता  है !
 
जब  जनता  की  ताकत  खुदपर  ही  चोट  करे !
जब  सवाल   बन  जाये " किसको  नहीं , क्यों  Vote करे !!
जब  देश  व्यवस्था  का  सम्पूर्ण  परिवर्तन  चाहता  है !
मुझे  हिटलर  बहुत  याद  आता  है !
 
जबसे  चलता   है !, कह  कर  हमे  गलतियाँ  छिपाना  आगया !
खुदसे  नज़र  बचाकर , दूसरों  पर  ऊँगली  उठाना  आगया !!
शायद  तबसे  ही  देश  मेरा  तीसरी  दुनिया  कहलाता  है !
इस  परिस्तिथि  को बदलने  के  लिए , मुझे  हिटलर  बहुत  याद  आता  है !!