सोमवार, 23 दिसंबर 2019

ये कौन है ?


ये कौन है?
खड़ा है दीवार से सटा,
इसके पेट में भूख की ज्वालामुखी
जन्मो से सुप्त है, फटे कब नहीं पता !

ये कौन है ?
जो दबाये जा रहे दौलत के जूतों तले,
जो बस उम्मीद के सहारे भीख मांगते पले !
वो दलित है, शोषक द्वारा पददलित है !
यातनाये सह कर भी मौन है !

ये कौन है ?
ये किसी सूची, अनसूचि में गिने नहीं जाते
दाम उपयुक्त इनके पसीने नहीं पाते!
किसी धर्म, किसी जाती, किसी भी वर्ग के है !
शर्मसार हम, ये भारत से स्वर्ग के है !!
                                       
ये कौन है ?
ये प्रश्नातुर है मानव अधिकार के तारको से
ये प्रश्नातुर है, गगनचुम्बी, मृतकों के स्मारकों से
ये अन्न उपजाने वाले किसानो की भीड़ है !
ये बता रहे, महान संस्कृति के उत्तरादिकारी कितने गौण है !

ये कौन है ?
दो वक़्त की रोटी मांगते, मतदान भला ये क्या जानते !
दशकों  बाद भी, स्वतंत्रत स्वयं को न मानते! सत्ता इनके लिए खुद पर षड्यंत्र है !
राज हो या गण, हर तंत्र भ्रस्ट तंत्र है !!


ये कौन है ?
कुछ आरक्षण कई संगरक्षण 
बस बढ़ जाये चुनाव में आसन 
नोटों की जहाँ से बरसात
उनसे ना पूछी जाये ज़ात

प्रश्न ना रहा अब के ये कौन है ?
भाग्य जिनके तिरस्कार व पदाघात
सह कर यातनाएं सारी क्यों मौन हैं ?
ये कौन है ? ये कौन है ? ये कौन है ?