५६" का सीना है, तो क्या
अर्पित खून पसीना है, तो क्या
कभी स्वजन के लिए, काल सम्मुख तन कर देखो।
पौरुष बहुत देखा तुम्हारा, माँ बनकर देख।।
भविष्य धर गर्भ में , अकेले
लांछना समाज के सब झेले
भूमिगत होने से पहले, भूमीजा सा समर्पण कर देखो।
दशरथ सरीखे पिता बहुत है, सीता सी माँ बनकर देखो।।
महाराणा, शिवजी के जैकार सुने है
भगत, बिस्मिल के हुंकार सुने है
जीजा, जयवंता, विद्यावती के संस्कार पा महापुरष हुए अमर देखो।
सुभाष सा आदर्श चाहिए ? भारती समान माँ बनकर देखो।।
ये जो व्यर्थ करने को समय मिलता है।
मांगने से पहले भोजन, दुखों में आश्रय मिलता है।
तुम पंचांग में अवकाश ढूँढ़ते, उनसा श्रम निरंतर, सहन क्षय कर देखो।
देवकी ना बन सको तो, यशोधा बंकर देखो , एक बार माँ बनकर देखो।।
अर्पित खून पसीना है, तो क्या
कभी स्वजन के लिए, काल सम्मुख तन कर देखो।
पौरुष बहुत देखा तुम्हारा, माँ बनकर देख।।
भविष्य धर गर्भ में , अकेले
लांछना समाज के सब झेले
भूमिगत होने से पहले, भूमीजा सा समर्पण कर देखो।
दशरथ सरीखे पिता बहुत है, सीता सी माँ बनकर देखो।।
महाराणा, शिवजी के जैकार सुने है
भगत, बिस्मिल के हुंकार सुने है
जीजा, जयवंता, विद्यावती के संस्कार पा महापुरष हुए अमर देखो।
सुभाष सा आदर्श चाहिए ? भारती समान माँ बनकर देखो।।
ये जो व्यर्थ करने को समय मिलता है।
मांगने से पहले भोजन, दुखों में आश्रय मिलता है।
तुम पंचांग में अवकाश ढूँढ़ते, उनसा श्रम निरंतर, सहन क्षय कर देखो।
देवकी ना बन सको तो, यशोधा बंकर देखो , एक बार माँ बनकर देखो।।