क्या बस इतना ही कर पाउँगा?
आईने में चहरा दिखाकर चला जाऊंगा !
वो अपनी बदसूरती से कब तक मुह छुपायेगा ?
एक दिन आइना कोई काम न आएगा !
आईने में चहरा दिखाकर चला जाऊंगा !
वो अपनी बदसूरती से कब तक मुह छुपायेगा ?
एक दिन आइना कोई काम न आएगा !
आखिर जब, जानते सब!
क्या और किसको दिखाने चला हूँ ?
जिसे देखकर करते लोग अनदेखा
मै बेकार में इन अंधों को बताने चला हूँ?
मै बेकार में इन अंधों को बताने चला हूँ?
सब के सब जानकार,
ये अज्ञान नहीं राष्ट्रद्रोह है !
जो मुद्रा की शक्ल में, अरमां ऐठे है!!
जो मुद्रा की शक्ल में, अरमां ऐठे है!!
सच है, मै मूक दर्शक नहीं हूँ !
कोई देख कर संतुष्ट हो , आकर्षक नहीं हूँ !!
जिनमे चाहा चेतना , वे सभी निर्जीव यहाँ !
गर्जना पर-वेदना पर , क्या अब निरर्थक नहीं है ?!
स्वयं का धर्मयुध्य लड़ना ना चाहे !
युध्य की बीज दूसरों के कुरुक्षेत्र में बोई !!
इराक क्यों जला?, क्यों यूरोप में मंदी छाई , मुद्दे है !
बच्चे बेच कर जिंदा है, समाचार में अधिकारक्षेत्र ना कोई !!
मै कवी हूँ सामने आइना न बस धर सकता हूँ !
प्रतिबिम्ब समाज को दिखा सकता हूँ !!
मै दे सकता हूँ , थोड़ी सी प्रेरणा, कर सकता उत्साहित!
कर सकता हूँ मार्गदर्शन भी, चलना भी सिखा सकता हूँ !!
परन्तु मेरे हर प्रयास की सफलता
तुमपे जा, बन जाती असफलता !!
तुम जब नकार देते हो , मुझे ही नहीं !
खुद अपने प्रतिबिम्ब को भी, होती मेरी विफलता !!
फिर भी मै निरंतर प्रयासरत हूँ!
स्तिथि तुम्हारी सुधरे मै निष्ठ व्रत हूँ !
जब तक मै प्रयासरत हूँ, मै सफल हूँ !
चलना होगा मुझे जब तक न मै नि:व्रत हूँ!