बिस्मिल पुनर्जन्म
मेरे लिखित कविताएँ और कहानियाँ जो मातृभूमि के लिए मेरी श्रद्धांजलि है और कुछ विचार हमेशा सोच में रखने के लिए!
मंगलवार, 21 जून 2022
कौन सही ? या मौन सही !
शनिवार, 21 मई 2022
हिन्द की रूह !
जिस तरह डूबता हुआ सूरज
आसमाँ में लालीमा भर देता है।
बुझता हुआ दीपक भी, अपनी
आभा से घर रौशन कर देता है।
ठीक उसी तरह टूटने से पहले
जाग उठती है हिन्द की रूह !
हर आवाज़ नारो में तबदील अब।
हर तरफ लोगों का हुजूम, शामिल सब।
ज्यों ज्यों झूठ का नकाब हटता है
उमीदें टूटती है, ऐतबार घटता है।
और लोगो का गुस्सा सैलाब बनता है
मज़लूमो का जुर्मवालों पे हिसाब बनता है।
दिशा न दी गई, तो ये ताक़त ज़हर है।
हर किसी पे ये अज़ाब, कहर है।
इस भट्टी में तप कर ही निखारना होगा।
अंकुरित होना है ? बीज बन बिखरना होगा।
वक़्त ऐसे ही दौर से गुज़र कर बदलता है।
कुछ नया बनने से पहले , हर शय जलता है।
टूटते है ऊँचे दरख़्त, तिनको से चमन बनता है।
जैसे हर बार टूटता है हिन्द, फिर नया वतन बनता है।
बुधवार, 16 मार्च 2022
90 और तुम्हारे पाप
शुक्रवार, 12 नवंबर 2021
टेम आ गया है।
खुद को जानने का,
दुविधा को हटाकर
भ्रांतिया सब घटाकर
सत्य को मान्ने का
" टेम आ गया है। "
जिन पर हम हसते रहे
हरबार उन्ही बातों से
तिरस्कृत जज़्बातों से
घरशत्रु हमे डसते रहे
पर अब, टेम आ गया है।
विदेशों में सम्मान मिले
वो सनातन को चाहे
हम माने गहे बगाहे।
उसपर भी फरमान मिले।
अब नहीं, टेम आ गया है।
भगवाकरण ? है, तो है।
वेदो से सीख, आचरण
धर्म हेतु मृत्यु का वरण
कम्युनल ? है, तो है।
टेम आ गया है।
शनिवार, 29 अगस्त 2020
वोकल फॉर लोकल
मेरे गांव का नंदू नाई
अच्छे बाल बनाता है।
श्राद्ध संस्कार और मुंडन सर्विस
स्पेसल डिस्काउंट दिलाता है।
नंदू की बीवी गौरा भी
घर घर ब्यूटी पार्लर चलती है।
फेसिअल और घुंगराले बाल
आपके घर जाके कर आती है।
क्या कहा ? इसमें मेरा क्या फायदा ?
कमीशन एजेंट नहीं हूँ , बात कुछ और है।
अच्छे पडोसी होने का फ़र्ज़ है ये,
आजकल वोकल फॉर लोकल का दौर है।
बड़े उद्योगपति सब बोहोत कमा चुके
कोसना छोड़ो , कर्म करने का तौर है।
सपने देना उनका काम, पूरा करना हमारा
समझलो जबतक मोदीजी सिरमौर है।
सोमवार, 24 अगस्त 2020
आत्मनिर्भर
गुप्त अँधेरे कमरे से
कब तक बाहर ताकोगे ?
उजालों के लिए कब तक ,
बंद खिड़कियों से झांकोगे ?
आज चीन से तनी है ,
तो उसका बसहिष्कार सही।
स्वदेशी की सोच, देर करदी
शायद? फिर भी विचार सही।
कल फिर किसीसे तनेगी,
बहिष्कार का वो वजह देगा।
आत्मविश्वास अंगद सा न हुआ,
तो इतिहास उसकी सजा देगा।
हो सकता है जुमला हो,
ये भी देश के चौकीदार का !
खून तुम्हारा भी अगर शामिल है ?
तो फ़र्ज़ निभाओ हक़दार का।