शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2017

भारत रत्न

उज्वल रत्न भारत के जो थे
वो भूली हुइ  नीव की  ईटें हैं
आदर्श कीताबों के लाल पन्ने भर,
खास तो बस चुनाव की सीटें हैं !!

सिंघासन को संपत्ति समझ लेना
 कुरुक्षेत्र की यात्रा करवा देता है !
 महाभारत नकारा जिसने भी,
कर्म फल जीवन को  वनवास बना देता है !!

धृतराष्रों की कमी कहाँ है जग में
दुर्योधनों का सर्वत्र बोलबाला है !
तीरथ बाज़ार, मठ व्यवसाय प्रतिष्ठान हुए,
धर्म तिरस्कृत, आस्था में  मधुशाला है !!

रत्न उपजाने है अगर भारत में
चेतना को रत्नाकर कर डालो !
विद्या व्यक्तित्व की शान धरे
ज्ञान गीता  सार, जीवन समर कर डालो !!

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