पर के
जीवन का
रस खींच
जीवन पाए
जो
जीव विज्ञानं में
परजीवी की
संज्ञा पाये
वो !
अनर्थ को बढ़ावा
दे,भ्रम
फैलाये जो
समाजविज्ञान में बुद्धिजीवी
क्यों कहलाये
वो?
बंध हो फँसी
की सज़ा,
ऐसे चल
नहीं सकता
मनुष्यों के मूलाधिकार,
ऐसे कोई
छल नहीं
सकता।
परन्तु, जो नशाग्रत
और आतंकग्रस्त
कर प्राण
छीने
उसको हम मनुष्यों
की श्रेणी
में कैसे
गिने?
किसी को धर्म
प्रेम किसी
को प्यारी
जाती
किसी की वर्गों
में बाँटकर,
समाज तोड़ने
की है
ख्याति।
किसी को कुछ
नहीं चाहिए,
सिर्फ चाहिए
माल (धन),
खुद का शासन
खुद पर
कर लो,
गणतंत्र का
हाल।
"नोटा " को अगर
बहुमत आये,
क्या गणतंत्र
होगा फेल?
दो चार जितने
वोट पड़ेंगे,
उसमे ही
चलेगा गिनती
वाला खेल।
मैं कॉन्ट्रैक्ट अधिकारी,
तू है
ठेकेदार, अपना
बन्दर बाँट
का मेल
नीलामी की शुरुवात
हुई , पोस्टर
छपे है,
" भारतमाता सेल " !!
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