मैं कोइ कवी हूॅ ऐसा दावा नहीं करता!
मैं सर्वज्ञ होने का दिखावा नहीं करता !!
मेरी रचनाए संवेदनाओ का लिपांतरण है!
शोशक द्वारा भुलाई हुई अन्त:करण है !!
मैं सर्वज्ञ होने का दिखावा नहीं करता !!
मेरी रचनाए संवेदनाओ का लिपांतरण है!
शोशक द्वारा भुलाई हुई अन्त:करण है !!
तालियों की शोर में गुम ना हो जाऊं कहीं !
शोहरतों के सुरूर में टुन्न ना हो जाऊं कहीं !
मेरा मकसद तेरे जूनून-ए-वतनपरस्ती से पूरा है।
वरना अल्फ़ाज़ सारे बेमायने है , अधूरा है !
कागज़ पे रिस्ता हुआ स्याही नहीं, है मेरा लहू।
जो भी हैं, उमढ़ते जज़्बात, तुमसे नहीं तो किस्से कहूँ ?
तर्ज़ों में लिखी हो तो हरकोई, हर बयां को ख्वाब समझ लेता है !~
वरना अल्फ़ाज़ सारे बेमायने है , अधूरा है !
कागज़ पे रिस्ता हुआ स्याही नहीं, है मेरा लहू।
जो भी हैं, उमढ़ते जज़्बात, तुमसे नहीं तो किस्से कहूँ ?
तर्ज़ों में लिखी हो तो हरकोई, हर बयां को ख्वाब समझ लेता है !~
कोरी कल्पना समझ लेता है, मामूली किताब समझ लेता है।
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