अमरीकी बपौतियाँ, मस्त होने लगी ।।
रूस फिरसे जाग उठा है, सोवियत की चाह में।
अपने भी कदम बढ़ चले है, दगवीजय की राह में।
देश ३३ कर चुके है रूपए पर भरोसा
पिज़ा बर्गेर से पसंद , उनको अब समोसा
६० देश और खड़े पांगती बद्ध, कब मिले मौका ?
ताकतवर मुल्कों ने मिलके, अब तलक जिनको रोका !
विश्वगुरु ही नहीं, जगत सेठ भी हम होंगे !
महेंगाइ से त्रस्त सभी, दाम जाने कब काम होंगे ?
डॉलर और मिटटी तेल से मुक्ति, बस एक मार्ग शेष।
मार्ग ये सुगम नहीं , प्राच्य पर लाएगा पश्चिम कुछ तो क्लेश !
अर्थ के अनर्थ को थामने, सैन्य शक्ति का प्रयोग भी संभव !
आत्मनिर्भरता से करना है स्वयं के शक्ति का उद्भव !!
भारत के विभाजित क्षेत्र सारे विलय को आतुर आज !
राष्ट्रहित को विवेकवान, सत्ता की युक्ति चातुर आज !!
राष्ट्र सनातन अपनीओज की खोज में लगा है
राष्ट्र सनातन अपनीओज की खोज में लगा है
और युवा अश्लीलता के बोझ से लदा है !!
इस दलदल से भी खींच कर लाने का समय आ गया हैं !
दौर बदल रहा है , अब स्वयं को पाने का का समय आ गया है !!