सोमवार, 14 अप्रैल 2025

मेरे लिए काफी है , पर !

राम नाम की धुनि रमाकर 
या, चिता भस्म से नाहाकर
वळख्ळ या दिगंबर धर, वैरागी बन जाना
सत्य की खोज, मेरे लिए काफी है, पर ! 

प्राचीन गुरुओं की वाणी सुन
मैं भी लून, मोक्ष की राह चुन
हाहाकार कोलाहल से दूर जाकर
एकांत का प्रयास, मेरे लिए काफी है, पर ! 

निश्लीपत, व निष्क्रिय रहकर 
आजीविका के लिए सब सहकर 
संवेदनहीन हो जाऊं ज्यों प्रस्तर 
मेरे लिए काफी है , पर !

कमर्फल एवं समयचक्र की सत्यता जानता हूँ !
धर्म जय को अधर्म का नाश आवश्यक मानता हूँ  !
मोक्ष जीवन  का लक्ष्य अंतिम , मेरे लिए काफी है , पर !
प्रतिकार ना करना, क्या चेतना को दे पायेगा वो स्तर ??

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