एक समय था देश में,
संघर्ष विवरणों से जारी था।
अधिकार, अस्मिता, आत्मसम्मान उदय ,
लोभ, घृणा, द्वेष पर भारी था !!
समए बदला, निज़ाम भी !
अब वर्णो की अलग परिभाषा भी !!
वर्णो में टकराव का वेग रहा फिर भी !
वर्णो में वर्गभेद मिटने की प्रत्याशा भी !!
अब संघर्ष था नए लक्ष की खोज में ,
लोभ, घृणा, द्वेष पर नज़र की बारी है!
वर्णाश्रम के खंडहारों को समेटकर ,
आरक्षण झुनझुने से , बिगुल फूकने की तयारी है !!
सघर्ष की ये दिशाहीन लालसा ने
वर्णो को गृहयुद्ध की कगार दे दिया !
मेरे घर की रौशनी तेरे घर से काम क्यों हो ?
उपचार में, फूँक मारकर, वतन अन्धकार कर दिया !!
संघर्ष विवरणों से जारी था।
अधिकार, अस्मिता, आत्मसम्मान उदय ,
लोभ, घृणा, द्वेष पर भारी था !!
समए बदला, निज़ाम भी !
अब वर्णो की अलग परिभाषा भी !!
वर्णो में टकराव का वेग रहा फिर भी !
वर्णो में वर्गभेद मिटने की प्रत्याशा भी !!
अब संघर्ष था नए लक्ष की खोज में ,
लोभ, घृणा, द्वेष पर नज़र की बारी है!
वर्णाश्रम के खंडहारों को समेटकर ,
आरक्षण झुनझुने से , बिगुल फूकने की तयारी है !!
सघर्ष की ये दिशाहीन लालसा ने
वर्णो को गृहयुद्ध की कगार दे दिया !
मेरे घर की रौशनी तेरे घर से काम क्यों हो ?
उपचार में, फूँक मारकर, वतन अन्धकार कर दिया !!