शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

ख़ैराती

जो   चीज़ें  ख़ैरात  में पाई जाती है !
अक्सर उनकी औकात बता दी जाती है !!
जिन्हे ख़ैरात में इल्म मिली, वो ज़ुबाँ से दगा दे गए !
जो ख़ैरात  में आज़ादी लाये थे, गद्दारी का फलसफा दे गए !!

मैंने जो की बेइन्तेहाशा मुहोब्बत वतन से !
वो कह कर दीवाना मुझे, मुझसे किनारा कर गए !
उनकी सोहबत ही क्या करना जो वतनफरोशी को आज़ादी कहते है !
मैं आज भी अपनी उसूलों के दम पे खड़ा हूँ, अच्छा है बेसहारा कर गए !!

वो मेरे मुल्क की मिलकियत पे जीते है बड़ी शौक से !
उनकी बदज़ुबानी, वतनपरस्तों पे निकलती है धौंक से !!
और हमसे ये चाहें, वो थप्पड़ जमाते रहे, हम गाल बढ़ाते रहें !
हमने  घूर क्या लिए पलटकर, शोर मचने लगे क़त्ल होने के खौफ से !!