जब कोई खद्दर ओढ़कर
!
कर्तव्यों से मुह मोड़कर
!!
बेशर्म भ्रष्ट आचरण पे उतर आता है !
मुझे हिटलर बहुत याद आता है !
कहकर खुद को अहिंसा का पुजारी
!
गाँधी का कोई उत्तराधिकारी
!!
जनता में अविश्वास बढ़ता है !
मुझे हिटलर बहुत याद आता है !
जब जनता की ताकत खुदपर ही चोट करे !
जब सवाल बन जाये
" किसको नहीं
, क्यों
Vote करे !!
जब देश व्यवस्था का सम्पूर्ण परिवर्तन चाहता है !
मुझे हिटलर बहुत याद आता है !
जबसे चलता है
!, कह
कर हमे गलतियाँ छिपाना आगया
!
खुदसे नज़र बचाकर
, दूसरों पर ऊँगली उठाना आगया
!!
शायद तबसे ही देश मेरा तीसरी दुनिया कहलाता है !
इस परिस्तिथि को बदलने के लिए , मुझे हिटलर बहुत याद आता है !!