आज नसों में साथ खून के
रिश्वत दौड़ा करती है!
जो होता है जो हो रहा है
सच्चाई जान पड़ती है!
पर , एक दिन ऐसा आएगा !
हर शख्स आज पर पछतायेगा ! !
जो उचित , और अनुचित का !
भेद समझ पायेगा ! !
आभी दौलत के ताकत पर !
हर धनवान इतराता है ! !
ज़रुरत से जादा कमाकर !
तिजोरी भरता जाता है ! !
पर , एक दिन आएगा
सड़ , जाएगी तिजोरी में दौलत !
लुटती तिजोरी को तडपता रह जायेगा
और वो कुछ ना कर पायेगा !
सत्ता के ताकत पर
वो अत्याचार करता है ! !
उसकी एक आहत से,
समाज सर झुकाके चलता है
पर , एक दिन आएगा
विवेक को, कोई झक-झोड़ कर जगायेगा ! !
सब्र ` का हर बाँध टुटेगा!
समय , एक नया इन्कलाब लाएगा ।
आज , हर बगावत को किसीने
अपने स्वार्थ के लिए बहकया है ! !
अपनो के कंधे पर रखकर ,
गैरों ने बन्दूक चलाई है ! !
पर , एक दिन आएगा!
हर इंकलाबी खुद को समझेगा ।
अपनी राह खुद गड़ेगा
किसीके बहकावे मव नही आयेग ।
आज अपनी है इनकी हुकूमत !
अपना ही विधान है ! !
जी तरह चाहे, तोड़े मोड़े पेश करे!
आज न्याय , बस सत्ता प्रधान है ! !
पर एक दिन आएगा ,
प्रजातंत्र की परिभाषा कोई बदल जायेगा !
योग्यता ही बस हो जहाँ कसौटी
मानव ऐसा विधान अपनाएगा ! !
रिश्वत दौड़ा करती है!
जो होता है जो हो रहा है
सच्चाई जान पड़ती है!
पर , एक दिन ऐसा आएगा !
हर शख्स आज पर पछतायेगा ! !
जो उचित , और अनुचित का !
भेद समझ पायेगा ! !
आभी दौलत के ताकत पर !
हर धनवान इतराता है ! !
ज़रुरत से जादा कमाकर !
तिजोरी भरता जाता है ! !
पर , एक दिन आएगा
सड़ , जाएगी तिजोरी में दौलत !
लुटती तिजोरी को तडपता रह जायेगा
और वो कुछ ना कर पायेगा !
सत्ता के ताकत पर
वो अत्याचार करता है ! !
उसकी एक आहत से,
समाज सर झुकाके चलता है
पर , एक दिन आएगा
विवेक को, कोई झक-झोड़ कर जगायेगा ! !
सब्र ` का हर बाँध टुटेगा!
समय , एक नया इन्कलाब लाएगा ।
आज , हर बगावत को किसीने
अपने स्वार्थ के लिए बहकया है ! !
अपनो के कंधे पर रखकर ,
गैरों ने बन्दूक चलाई है ! !
पर , एक दिन आएगा!
हर इंकलाबी खुद को समझेगा ।
अपनी राह खुद गड़ेगा
किसीके बहकावे मव नही आयेग ।
आज अपनी है इनकी हुकूमत !
अपना ही विधान है ! !
जी तरह चाहे, तोड़े मोड़े पेश करे!
आज न्याय , बस सत्ता प्रधान है ! !
पर एक दिन आएगा ,
प्रजातंत्र की परिभाषा कोई बदल जायेगा !
योग्यता ही बस हो जहाँ कसौटी
मानव ऐसा विधान अपनाएगा ! !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें