रविवार, 29 जुलाई 2018

दुर्गति

सन २०३७, मैं हूँ एक बेटी का बाप।
सौभाग्य समझता था जिसे, वो बना संताप !!
इंग्लिश की गालियां ज़ुबान पर, मातृभाषा नहीं बोलती है !
संस्कार गया तेल लेने , उसकी सड़कों पे कार बोलती है !!

सिगरेट का कश, धूवाँ मेरे चेहरे पर उड़ाना फैशन है !
हर रोज़ नए छोकरों का उसको अट्रैक्शन है !!
हम डाटें, कहें सम्हालो खुद को, सोचो ज़िन्दगी में क्या करना है?
कहती है जो करती हूँ  ट्रेनिंग है, मुझको पोर्नस्टार बनना है !!

गुस्सा बहुत आया था , मैंने उसपर हाथ उठाया था !
क्या हमारी संस्कृति, क्या हमारी उपलब्धि उसको समझाया था
फिर , तनहा अकेले, मैं सोचने लगा, ये हमारा ही तो कसूर है !
हमने ही तो लौंडिया बाज़ "बाबा" और वेश्या सन्नी को किया मशहूर है !!

हमको तै करना था, किसको आदर्श बना कर समाज में पेश करें।
पोर्नस्टार की जीवनी फील्म बने तो, संस्कारों के पक्ष में केस करें !!
प्रश्न करें, जीवनी बनानी है तो श्री कलाम, सुश्री कल्पना क्यों नहीं दिखती है ?
आखिर संजू और सन्नी से प्रेरणा ले, आनेवाली पीढ़ी क्या सीखती है ?


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें