१२ साल की स्कूलिंग, ५ साल की इंजीनियरिंग
हम सब सारे हुक्म के गुलाम, बजट फेयरिंग !!
मेरे लिखित कविताएँ और कहानियाँ जो मातृभूमि के लिए मेरी श्रद्धांजलि है और कुछ विचार हमेशा सोच में रखने के लिए!
नूह, नागपुर, मुर्शिदाबाद,
पुलवामा हो या पहलगाम !
कुछ अंतर नहीं है इनमे,
सब अल जिहाद के घाव तमाम !!
भत्सनाओं का समय निकल गया,
अबतो शुरू करो अब इनको मिटाना !
और इनके जो है सारे सहकारी
बुलडोज़र टेल हो इनका ठिकाना !!
विक्सित भारत है स्वप्न तुम्हारा
गज़वा -ए - हिन्द उनको चाहिए !
सिमी, प.फ.आई , आई. एम बनाने
मिलते है कहाँ से जो लोग चाहिए ?
वो जो है, उनको वही कहना सीखो
मिमयाना छोडो, अब शेर बनकर जीना है।
अल जिहाद से युद्ध की हो है चुकी घोषणा
अब भिड़ाकर देखेंगे बारूदों से फौलादी सीना !!
जन्नत के परवानो से लड़ना है
जानो, इस युद्ध के है आयाम कई!
शोणित से लाल होगी गलियां
चुकाने पड़ेंगे हमको भी दाम कई !
इस युद्ध को परिणाम देने,
जिहाद के निर्गत तक जाना होगा !
संक्रमन सफाई प्रयाप्त नहीं, उद्गम ता जाकर,
समाधान का अभियंता बन जाना होगा।
बाहर के आतंकी हो
या अंदर के दंगाई !
एक भाषा एक ही लक्ष
एक सी झंडों की रंगाई !!
सिंघासन जो राजदंड का करे प्रहार
बुद्धिजीवी चींखे, लूटा मानवाधिकार !
पहले किया निहत्था, फिर हुआ जनसंहार
सनातन को विधिवत जीने का मिलता उपहार !!
नस्लों में विषैले विचार बोने वाले
सम्मान निधि पा जीवन रहे गुज़ार।
अधर्म ग्रन्थ सीखाने वालों को,
हम धर्मप्रचारक पुकार रहे।।
उनपे फ़र्ज़ है क़त्ल तुम्हारा, और
तुम चादर चढाने चले मज़ार।
यात्रा की शोभा है फूटा हुआ हिन्दू सर
तुम ही पीड़ित, तुमपर ही धिक्कार !!
व्यवस्था का आभाव है, या
शत्रु प्रायोजित अत्याचार !
तय करने में निष्फल तुम्हारी सत्ता
नित्य विधि द्वारा भी छाला जाये अधिकार !!
शाकाहारी सिघों का जंगल
मुट्ठीभर वन-स्वानो से घिरे हुए।
शांति की भिक्षा व्यर्थ, मिमिया के मांग रहे,
देकर धर्म-संकट की दुहाई, स्व नजरों से गिरे हुए।
सच्चाई की हमेशा जीत होती है !
फिर भी झूठ की बड़ी खरीद होती है !!
सामूहिक सच, व्यक्तिगत सच, सारे अलग अलग !
सब आपस में उलझे हुए, अच्छाई के आंसू गए छलक !!
सत्य वही जिसका प्रमाण के साथ सत्यापन हो !
चाहे झूठे सारे साक्ष्य उसके, जैसे विज्ञापन हो !!
इस द्युत से बचकर मर्यादित अच्छाई हार जाती है !
सच होने की होड़ में झूठ अच्छाई को पछाड़ जाती है !!
जब लोग डरकर दुबक लें, अच्छाई से किनारा करें,
हिंसा मान कर, आत्मरक्षा और प्रतिकार को दुत्कारा करें !!
तब बेसहारा अच्छाई अपना सच साबित कर नहीं पाती!
अच्छे लोगो के अकर्मण्य होने से वो लड़ नहीं पाती !!
प्रत्यक्ष को भी भ्रम ना होने का, सच होने का प्रमाण चाहिए !
अच्छाई को सच्चाई बनाने के किये कई बलिदान चाहिए !!
अब तो समझ जाओ, जीतने के लिए पहले लड़ना ज़रूरी है !
कभी कभी, ज़िंदा हो तुम ये बताने के लिए मरना ज़रूरी है !!
नैटो की सदस्यता, यु एन ओ में वीटो है !
स्वतंत्र विदेश निति में, आज का मार्शल टीटो है !
बस एक गलती और, चारो ओर आग और धुआँ है !
कालनेमि को गले लगाया, मनो कालकूट विष छुआ है !!
आसमान से उत्तरी थी जो , स्वीडेन में जलना जारी है !
लन्दन की सड़कों का हाल, अंग्रेज़ बालाओं पे भरी है !!
आस पास के घटनाओ को कर अनदेखा, रहा वो खड़े के खड़े !
अपना देश जल गया, परमाणु बम्ब रह गए धरे के धरे !!
सत्तावन में तिरपन ऐसे, जो भाई भाई को काट रहे !
एक उम्मा के कई खलीफा, मज़हब बन्दर बाट सहे !!
हम उनके विक्षुप्तों को, शरणार्थी मानते रहे।
और वे संगठित होकर, कानून शरिया मांगते रहे !!
शार्ली हेब्दो ने मारी थी, व्यंग की छोटी सी पिचकारी !
लहू के फव्वारे छूटे, बरसाए बंदूकों से चिंगारी !!
सबका साथ, सबका विकास, ऐसे बकवास बंद हो ज़रूरी है !
उनकी कटार तुम्हारी गर्दन, बस एक मौके की दूरी है !!